Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झारखण्ड

के आगमन भारत के लिए मोहनदास करमचंद गांधी

ग्रंथ परिचय सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रेरक एवं रोचक प्रसंग

इस प्रकार ब्राह्मण साहित्य से प्राचीन भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है, किंतु राजनीतिक इतिहास की अपेक्षित जानकारी नहीं मिल पाती है।

क्या आप जानते हैं भारतीय इतिहास की इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में?

भारतीय इतिहास, एक दृष्टि (गूगल पुस्तक ल; लेखक - डॉ ज्योतिप्रसाद जैन)

वारेन हेस्टिंग्स get more info को बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया

मुगल साम्राज्य का उदय भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। मुगल साम्राज्य के आगमन से भारत में आयात और निर्यात में वृद्धि हुई। विदेशी लोग व्यापार के लिए भारत आने लगे जैसे डच, यहूदी, ब्रिटिश। पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारिक समूह फैले हुए थे। इनमें लंबी दूरी के व्यापारी सेठ और बोहरा शामिल थे; बनिक- स्थानीय व्यापारी; बंजारों ने अक्सर बैलों की पीठ पर अपने माल के साथ लंबी दूरी की यात्रा की, व्यापारियों का एक और वर्ग जो थोक वस्तुओं के परिवहन में विशेषज्ञता रखते थे। साथ ही, नदियों में नावों पर भारी सामान लाया जाता था।

ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना दादाभाई नौरोजी ने की थी

आरण्यक : अरण्यों (जंगलों) में निवास करनेवाले संन्यासियों के मार्गदर्शन के लिए लिखे गये आरयण्कों में दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों यथा- आत्मा, मृत्यु, जीवन आदि का वर्णन है। अथर्ववेद को छोड़कर अन्य तीनों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद और समावेद) के आरण्यक हैं। आरण्यकों में ऐतरेय आरण्यक, शांखयन आरण्यक, बृहदारण्यक, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक तथा तवलकार आरण्यक (जैमिनीयोपनिषद् ब्राह्मण) प्रमुख हैं। ऐतरेय तथा शांखयन ऋग्वेद से, बृहदारण्यक शुक्ल यजुर्वेद से, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक कृष्ण यजुर्वेद से तथा तवलकार आरण्यक सामवेद से संबद्ध हैं। तैत्तिरीय आरण्यक में कुरु, पंचाल, काशी, विदेह आदि महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।

लॉर्ड हार्डिंग ने गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया

इसके अनन्तर इस प्रियव्रत शाखा में पैंतीस प्रजापति और चार मनु हुए। चारों मनुओं के नाम स्वारोचिष, उतम, तामस और रैवत थे। इन मनुओं के राज्यकाल को मन्वन्तर माना गया। चाक्षुष रैवत मन्वन्तर की समाप्ति पर छतीसवां प्रजापति और छठा मनु, स्वायंभुव मनु के दूसरे पुत्र उतानपाद की शाखा में चाक्षुष नाम से हुआ। इस शाखा में ध्रुव, चाक्षुष मनु, वेन, पृथु, प्रचेतस आदि प्रसिद्ध प्रजापति हुए। इसी चाक्षुष मन्वन्तर में बड़ी बड़ी घटनाएं हुई। भरतवंश का विस्तार हुआ। राजा की मर्यादा स्थापित हुई। वेदोदय हुआ। इस वंश का वेन प्रथम राजा था। इस वंश का प्रथु- वैन्य प्रथम वेदर्षि था। उसने सबसे प्रथम वैदिक मंत्र रचे। अगम भूमि को समतल किया गया। उसमें बीज बोया गया। इसी के नाम पर भूमि का पृथ्वी नाम विख्यात हुआ। इसी वंश के राजा प्रचेतस ने बहुत से जंगलों को जला कर उन्हें खेती के येाग्य बनाया। जंगल साफ कर नई भूमि निकाली। कृषि का विकास किया। इन छहों मनुओं के काल का समय जो लगभग तेरह सौ वर्ष का काल है, सतयुग के नाम से प्रसिद्ध है। मन्वन्तर काल में वह प्रसिद्ध प्रलय हुआ, जिसमें काश्यप सागर तट की सारी पृथ्वी जल में डूब गई। केवल मन्यु अपने कुछ परिजनो के साथ जीवित बचा।

तीसरी शताब्दी के आगे का समय जब भारत पर गुप्त वंश का शासन था, भारत का "स्वर्णिम काल" कहलाया। दक्षिण भारत में भिन्न-भिन्न समयकाल में कई राजवंश चालुक्य, चेर, चोल, कदम्ब, पल्लव तथा पांड्य चले

सिंधु घाटी सभ्यता शिल्प तथा उद्योग धन्धे

मध्यकालीन भारत मध्यकालीन भारत का इतिहास

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15

Comments on “Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झारखण्ड ”

Leave a Reply

Gravatar